सभी को राधे राधे 🙏

मैं एक छात्र हु जो कि जयपुर स्थित एक फार्मेसी कॉलेज से B.Pharm कर रहा हु। मैं बिहार का रहने वाला हु। बिहार मैं ज्यादा तर कॉलेज समय पे अपना कोर्स पूरा नही करवाते इस कर्णवर्ष मैं भी बाकी छात्रों के तरह बिहार से बाहर आगया। सबकुछ तो सही चल रहा पर मेरे मन मे कई सवाल है जिनके उत्तर मुझे कही मिल नहीँ रहे।

मैं तो बात करूंगा अपनी ही कॉलेज की क्रिन्तु सभी कॉलेजों मैं ऐसा ही होता है।





हन तो सबसे पहले मैं आपको ये बताना चाहूंगा कि मैं PG मैं रहता हूं । क्योंकि मेरे कॉलेज मैं होस्टल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। मेरा कॉलेज इंडस्ट्रियल एरिया मैं आता है जिस कारण यहाँ बहुत सारी परेशानिया भी होती। मैं कॉलेज के बगल मैं ही रहता अगर दूर जाऊ तो आने जाने का टाइम और अतरिक्त पैसे भी लगेंगें । हन खाने मैं तो बहुत परेशानिया होती हैं और दुख भी होता जब pg का मालिक ये बोल के हमारी बाते नहीं सुनता की तुम बिहार से हो राजस्थानी को ये ही पसद तो येही खाना पड़ेगा। ये सब होने के बाद भी यहाँ रुकना हमारी मजबूरी हैं हमारे भविष्य का सवाल है। घर से फ़ोन आता तो सब बोलते कैसे हो खाना खा लिया? जिस हालत मैं भी रहू बोलना पड़ता "हन मैं ठीक हु और खाना भी खा लिया" ।

अब बात आती है मेरे कॉलेज की जिसे मैंने 18 अक्टूबर 2021 मैं जॉइन किया था । और आज लगभग 2 साल होगये क्रिन्तु मैं अभी 1 साल का ही कोर्स पूरा कर पाया । मैं मान लेता हूं कि कोरोना के करण सारे यूनिवर्सिटी पीछे चल रहे मेरा थोड़ा ज्यादा चल रहा । यहाँ आके मैं इस बात से निराश होगया अगर ऐसा ही था तो मैंने बिहार छोरा ही क्यों?

भले एग्जाम समय पे हो या ना हो क्रिन्तु कॉलेज के तरफ से एक फिक्स टाइम पे घर पे संदेश चला जाता कि आपके बच्चे की फीस इस तारीख से पहेले आ जानी चहिये वरना प्रत्येक दिन फाइन लगेगा । और फाइन के साथ अंतिम मैं सारे बच्चे फीस जमा करवा भी देते है।

अब मेरा सवाल ये है कि जब बच्चे के परिवार वालो दुआरा लेट से फीस जमा करवाया गया तो कॉलेज ने फाइन लगाया । अब जब बच्चे को 4 साल का कोर्स 5 से 6 साल मैं करना पड़ रहा उसकी भरपाई कोन करेगा? जो समय जारहा वो तो अलग है क्रिन्तु जो रहने मैं पैसे लग रहे वो तो बढ़ते ही जा रहे ये कोन देगा? घर वाले ने तो ये सोचके भेजा था चार साल बच्चा पढ़ेगा पाचवे साल से नौकरी कर के घर पैसे भेजेगा पर यहाँ तो उल्टा घर से ही माँगना पड़ रहा। कॉलेज की फीस समय पे ना जमा होने पे तो आराम से फाइन ले लिया जाता पर यहाँ जो हमारा समय और पैसा दोनो जा रहा इसका फाइन कौन देगा?


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